सादर सहृदय_/\_प्रणाम मेरे प्यारे भाइयों, बहनों। जय जय श्री राधेकृष्णा।
"समर्पण का एक संकल्प बदल सकती है आपके मन और जीवन की दशा और दिशा" क्यों कि जिसे भगवद् शरण मिल जाए उसका जीवन सर्वब्यापी परमात्मा के द्वारा आरछित-सुरछित हो जाता है अनहोनी से बचाव और होनी में मंगल छिपा होता है। तथा मायापति की माया से भी अभयता मिलती है क्यों कि माया का मूल स्वरूप हमारे मन में स्थित भावनाऐं है जिन्हें हम भवसागर कहते हैं भगवद कृपाओं से हमें इसमें तैरना आ जाता है जिसके कारण हमारा मन विपरीत विषम् परिस्थितियों में भी शान्ति,प्रेम, और आनन्दमयी रहना सीख लेता है।
"हमारे व हमारे अपनों के जीवन के लिए अति कल्याणकारी और महत्वपूर्ण, सद्गुण प्रदायिनी,भवतार िणी,शान्ति, भक्ति(प्रेम) और मोछप्रदायिनी भावना(प्रार्थना)" (जिसे स्वयँ के साथ बच्चों से भी किसी शुद्ध स्थान अथवा शिवलिँग पर कम से कम एक बार तो एक लोटा जल चढ़ाते हुए अवश्य करेँ और करवाऐँ) - 1 ."हे जगतपिता", "हे जगदीश्वर" ये जीवन आपको सौँपता हूँ इस जीवन नैया की पतवार अब आप ही सँभालिए। 2 ."हे करूणासागर" मैँ जैसा भी हूँ खोटा-खरा अब आपके ही शरण मेँ हूँ नाथ, मेरे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा , अब सब आपकी जिम्मेदारी है।" शरणागति का अर्थ है - "अपने मन का अहँ-अहँकार ,अपनी समस्त कामनाऐँ भी परमात्मा के श्री चरणोँ मे अर्पण कर देना अर्थात अपने जीवन की बागडोर परमात्मा को सौँप देना अतः समर्पण की प्रार्थना निष्पछ भाव से ही करेँ प्रभु जी रिश्ते भी निभातेँ है यदि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास हो तो गुरू का भी। इस पोस्ट को प्रर्दशन ना समझेँ ये मेरे अनुभवोँ और भागवद गीता का सार है जिसे भगवद प्रेरणा से ही जनसेवार्थ बाँट रहा हूँ। ☆समर्पण की प्रार्थना कम से कम एक बार एक लोटा या एक अंजलि जल अर्पण करते हुए अवश्य करें । एसा करने से हमारा परमात्मा के प्रति समर्पण का सँकल्प हो जाता है जो कि निश्चय ही फलदायिनी सिद्ध होती है ।☆ साथ ही ये पूर्ण विश्वास रखें कि अब आपकी जीवन नैइया प्रभु जी के हाथों में है वो जो भी करेंगे उससे बेहतर आपके जीवन के लिए कुछ और नही हो सकता । _/\_ ।।जय श्री हरि।।
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🙏 आपका सेवक🙏
मेरे प्यारे दोस्तों मैं एक साधारण गृहस्थ
परन्तु
भगवद् शरण प्राप्त एक भक्त भी हूं।
भक्ति केवल भगवान की उपासना ही नहीं बल्कि
मन, वचन, और कर्म से शुद्धि भी परमात्मा की सच्ची भक्ति है।
यदि हमें परमात्मा की शरण मिल जाए तो
भगवद कृपा से हमारे जीवन में शान्ति प्रेम,आनन्द, भक्तिऔर मोछ स्वयं ही सहज हो जाता है।
कृपया इस ब्लाग को किसी प्रकार का प्रर्दशन ना समझें
ये प्रेरणाएं आप पर भगवद् कृपा और
मेरे जनसेवार्थ संकल्पबद्धता के कारण जानिए
अर्थात
मेरे समस्त प्रेरणात्मक अनुभव सभी धर्मों के लिए *भगवद् प्रसाद* है।
क्योंकि
🙏🙏सबका मालिक एक है।🙏🙏
सादर सहृदय_/\_प्रणाम मेरे प्यारे भाइयों, बहनों।
ReplyDeleteजय जय श्री राधेकृष्णा।
"समर्पण का एक संकल्प बदल सकती है आपके मन और जीवन की दशा और दिशा"
क्यों कि जिसे भगवद् शरण मिल जाए
उसका जीवन सर्वब्यापी परमात्मा के द्वारा आरछित-सुरछित हो जाता है
अनहोनी से बचाव और होनी में मंगल छिपा होता है।
तथा मायापति की माया से भी अभयता मिलती है
क्यों कि माया का मूल स्वरूप हमारे मन में स्थित भावनाऐं है
जिन्हें हम भवसागर कहते हैं
भगवद कृपाओं से हमें इसमें तैरना आ जाता है
जिसके कारण हमारा मन विपरीत विषम् परिस्थितियों में भी शान्ति,प्रेम, और आनन्दमयी रहना सीख लेता है।
"हमारे व हमारे अपनों के जीवन के लिए अति कल्याणकारी और महत्वपूर्ण, सद्गुण प्रदायिनी,भवतार
िणी,शान्ति, भक्ति(प्रेम) और मोछप्रदायिनी भावना(प्रार्थना)"
(जिसे स्वयँ के साथ बच्चों से भी किसी शुद्ध स्थान अथवा शिवलिँग पर कम से कम एक बार तो एक लोटा जल चढ़ाते हुए अवश्य करेँ और करवाऐँ) -
1 ."हे जगतपिता", "हे जगदीश्वर" ये जीवन आपको सौँपता हूँ
इस जीवन नैया की पतवार अब आप ही सँभालिए।
2 ."हे करूणासागर" मैँ जैसा भी हूँ खोटा-खरा अब आपके ही शरण मेँ हूँ नाथ,
मेरे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा , अब सब आपकी जिम्मेदारी है।"
शरणागति का अर्थ है - "अपने मन का अहँ-अहँकार ,अपनी समस्त कामनाऐँ भी परमात्मा के श्री चरणोँ मे अर्पण कर देना
अर्थात
अपने जीवन की बागडोर परमात्मा को सौँप देना
अतः
समर्पण की प्रार्थना निष्पछ भाव से ही करेँ
प्रभु जी रिश्ते भी निभातेँ है यदि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास हो तो गुरू का भी।
इस पोस्ट को प्रर्दशन ना समझेँ
ये मेरे अनुभवोँ और भागवद गीता का सार है
जिसे भगवद प्रेरणा से ही जनसेवार्थ बाँट रहा हूँ।
☆समर्पण की प्रार्थना कम से कम एक बार एक लोटा या एक अंजलि जल अर्पण करते हुए अवश्य करें ।
एसा करने से हमारा परमात्मा के प्रति समर्पण का सँकल्प हो जाता है
जो कि निश्चय ही फलदायिनी सिद्ध होती है ।☆
साथ ही
ये पूर्ण विश्वास रखें कि अब आपकी जीवन नैइया प्रभु जी के हाथों में है
वो जो भी करेंगे
उससे बेहतर आपके जीवन के लिए कुछ और नही हो सकता ।
_/\_
।।जय श्री हरि।।